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उन सज्जन ने तीखे कण्ठ से जवाब दिया, “हाँ, खरीदते तो हैं ही! वैसे ही, जैसे काँटे में खुराक लगाकर पानी में मछलियों को सादर निमन्त्रण देना।” इस व्यंग्योक्ति का मैंने ...